शनिवार, 30 मार्च 2024
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https://manasmat.blogspot.in/ किसी की मजबूरियों को , यूँ बेबसी का नाम ना दो तेरे चाहने वालों को , तुम्हें भूलने का पैगाम ना दो । ...
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वर्ण-धर्म का तिमिर मिटाकर हर मन धवल बनाना होगा ज्योतिर्मय हो मनुज धरा पर इक , ऐसा दीप जलाना होगा । हवस , वहस-पन और पापमय कर्...
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बीती विभावरी अब , जाती रही ............. इक नयी सुबह का इन्तजार है । तन से मिलकर , मन का मनोरथ बिखर जाने को शून्य में , बेकरार ह...
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