गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

मानस मत: बीती विभावरी अब, जाती रही.............इक नयी सुबह ...

मानस मत: बीती विभावरी अब, जाती रही.............इक नयी सुबह ...: बीती विभावरी अब , जाती रही ............. इक नयी सुबह का इन्तजार है । तन से मिलकर , मन का मनोरथ बिखर जाने को शून्य में , बेकरार ह...

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मन की बातें